Sunday, August 25, 2013

ऐंसु कू सौण....

क्‍या बोन्‍न तैकी भौण,
मोळ माटु करिगि,
मेरा मुल्‍क अैक,
पुंगड़ा, भेळ, पाखा,
प्‍यारा गौं,
टूटिक रड़्यन,
ज्‍यूंदा ज्‍यू मनख्‍यौंन,
अपणा घौर छोड़्यन,
डरैगि अर दुख दीगि,
ज्‍यूकड़ि मा दाग लगैगि,
निहोण्‍या निर्भागि,
ऐंसु कू सौण....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिज्ञासु”
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
23.8.13

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल