Monday, August 26, 2013

तेरी कूड़ी बांजा पड़लि....

दिदा यनु न बोल,
अपणा मन मा,
कुछ त तोल,
ऊ जमानु अब चलिगि,
अबत तेरी गाळी,
फूल काफळ छन,
अपणा गौं मा देख,
जौंकि कूड़ी बांजा छन,
ऊंकी खूब होणी खाणी छ,
सैर बजारु मा,
अर तै प्‍यारा देरादूण,
तेरी गाळयौंन अब,
खुशी सी होंदि,
दुबारा बोल,
तेरी कूड़ी बांजा पड़लि....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिज्ञासु”
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
26.8.13

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