Friday, September 6, 2013

“रम की ब्‍वारि”

रम की ब्‍वारि ह्विस्‍की की,
होयिं भारी हाम- होयिं भारी हाम,
क्‍वी खुशी मौका हो, चाहे ब्‍यो बरात,
रम की ब्‍वारि ह्विस्‍की बिना,
क्‍वी नि होंदा काम- क्‍वी नि होंदा काम,
कनु जमानु ऐगि हे भुलौं,
ह्विस्‍की होयिं बांद- ह्विस्‍कि होयिं बांद,
जैं देखिक कथगौं की, जीब लबल्‍यांद,
हे ह्विस्‍की, हाय ह्विस्‍की,
तू छैं भारी बांद- तू छैं भारी बांद......

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षति एवं प्रकाशित
5.9.2013, E-Mail: jjayara@yahoo.com

 

 

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