Tuesday, November 22, 2016

घरवाळि.....


घरवाळि यनि दे भगवान,
बोल्युं माणु हो भग्यान....

सुबौ की हो अति प्यारी,
जिंदगी भर हो सेवाकारी,
पिरेम की गंगा जु बगाऊ,
सुबेर राति चा पिलाऊ,
मेरा गुणु कू करु बखान,
घरवाळि यनि दे भगवान......

मेरा घर मा गोरु न भैंसा,
खूब छ मैंमु धेल्ला पैंसा,
ये कारण जी कुछ नि धाण,
मौज मा वींन सदानि राण,
कोठी सी सुंदर मेरु मकान,
ब्वे छ मेरी देव्ता समान,
सासु दगड़ि सीरियल देखु,
घरवाळि यनि दे भगवान.....

गुण की खाण यनि हो वा,
मन मा कतै न करु अभिमान,
अति रौंत्याळु मुल्क हो जैंकु,
न्यौड़ु बग्दि धौळि की धार,
चंद्रवदनी का थान ल्हिजौलु,
अपणि गाड़ी मा घुमौलु,
रौड, जामणि, रणसोळीधार,
मैकु द्यौ सदानि प्यार,
गढ़वाळि कविता लिख्दि हो,
संस्कृति कु करु सम्मान,
घरवाळि यनि दे भगवान......

दिनांक 18.11.2016

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