जीवनदायिनी धौळि अलकनन्दा,
संतोपथ बिटि औन्दि छ,
पंच प्रयाग मा धौळ्यौं तैं,
पिरेम सी गौळा लगौन्दि छ।
विष्णुप्रयाग मा नारद जिन,
विष्णु जी की तपस्या करि,
विष्णु गंगा अलकनन्दा संगम
फर,
नारद जी तैं मिल्यन हरि।
नंदाकिनी अलकनन्दा संगम फर,
नंद बाबान नारैणै तपस्या
करि,
मांगी वरदान नारायण जी सी,
पुत्र रुप मा मिल्यन आप
हरि।
पिन्डर अर अलकनन्दा संगम
फर,
कर्णप्रयाग मा कर्णन सूर्य
कु तप करि,
खुश ह्वेन सूर्य भगवान जब,
कर्ण तैं कवच कुंडल प्रदान
करि।
रुद्रप्रयाग मंदाकिनी अलकनन्दा
संगम,
नारद जिन जख शिवजी की
तपस्या करि,
शिवजिन संगीत शिक्षा दिनि नारद जी तैं,
वीणा वाद्य यंत्र भी
प्रदान करि।
अलकनन्दा भागीरथी संगम फर,
देवप्रयाग ऐन भगवान श्रीराम,
ब्रह्रम हत्या मिटौण कु तपस्या करि,
सफल ह्वे मुक्ति कु काम।
अलकनन्दा कु ब्वारि ब्वल्दा,
भागीरथी कु ब्वल्दा सासू,
मिलन का बाद ब्वल्दा गंगा,
नमन कर्दु कवि जगमोहन “जिज्ञासू” ।
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जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
05/09/25/01/2019
(कुमगढ़ पत्रिका के सितम्बर-अक्टूबर 2019 अंक में प्रकाशित)05/09/25/01/2019
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