Wednesday, April 7, 2021

पहाड़

 

पहाड़

 

जिसकी पीठ पर,

मुस्काराते हैं बुरांस,

जिन्हें निहारकर,

अटक जाती है सांस।

 

संदेश देता है हमको,

जिंदगी में बनो महान,

तुम हो पर्वतजन,

उत्तराखण्ड की शान।

 

संवाद करता है सदा,

हिंवाळि कांठ्यौं से,

जो मुस्काराती हैं,

पहाड़ को निहारकर।

 

कहता है हमें,

मुझे मुसीबतों का पहाड़,

कभी मत कहना,

जहां भी रहो तुम,

सदा सुखी रहना।

 

पहाड़ चाहता है,

कभी कभी मेरे पास आना,

क्योंकि मेरे पास है,

प्रकृति का अकूत खजाना। 

 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू

दिनांक 16/03/202, दूरभाष: 9654972366

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