Thursday, September 1, 2011

"रंग बिरंगी गाड़ी"

(द्वारा/रचित/ जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
तुमारा मुल्क की छौं हम, निछौं बल अनाड़ी,
हमारा बिना नि चल्दी, तुम सब्यौं की गाड़ी,
होला तुम सोचण लग्याँ, पैरदि होलि नाक मा,
नथुलि, बुलाक, बदन मा लाल बिलोज साड़ी,
कथगा बौळ्या बणिक घुम्दि, सैडा कुमौं-गढ़वाळ,
घाम, बरखा मा, धार, खाळ, सैण,
ऋषिकेश, मसूरी, देहरादून, कोटद्वार,
रामनगर, हल्द्वानी, काठगोदाम,
जख छन ऊँचि निसि, हरीं भरीं प्यारा पहाड़ की पाड़ी,
सुबेर पैटि हिटा हिटी, तुम सब्यौं की प्यारी छौं,
जी.एम.ओ.यू, टी.जी.एम.ओ.यू,के.एम.ओ.यू. की,
सैडा कुमौं-गढ़वाळ की, रंग बिरंगी गाड़ी........
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित १.९.२०११)
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