Monday, October 3, 2011

"हे! गौं का प्रधान"

(रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
गौं कु तू विकास कर,
तू छैं गौं की शान,
बल गौं विकास की कल्पना,
सच मा छ महान.....
पैंसा देणी द्वी हाथुन,
उत्तराखंड की सरकार,
जन्मभूमि की सेवा कर,
अर कर तू सृंगार.....
गौं का बण बूट कू,
गौं का बाटा घाटौं कू,
बचौण कू कर प्रयास,
गौं का पाणी, धारौं कू,
कर विकास, कर विकास.....
"हे! गौं का प्रधान"
तू छैं गौं की शान........
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित २९.९.२०११)
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Suresh Tiwari and Prakash Singh Jayara like this.
Y.s. Chauhan जिज्ञासु जी कनि सुंदर आखर लिखि न आपन .........
Saturday at 11:42am · LikeUnlike

1 comment:

  1. ज़याडा जी, आप पहले बारामासा फौलो करें फिर आपसे इत्मिनान से बात करनी है.

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