Friday, October 14, 2011

"अंग्वाळ"

(रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
मारदा छन मनखि,
अपणौ़ फर, दगड़्यौं फर,
डाळा फर,
भौत दिनु बिटि बिगळ्याँ,
अर घर बौड़्याँ,
प्यारा दगड़्या, लंगि संगि फर....
उत्तराखंड हिमालय,
डाँडी-काँठी भि मारदि छन,
अफुमा, देखि होलि आपन,
जब जाँदा होला,
देवभूमि-जन्मभूमि,
कुमाऊँ अर गढ़वाळ.....
अपणि संस्कृति फर,
प्यारी बोली भाषा फर भि,
मारीं चैन्दी,
हे चुचौं, बल "अंग्वाळ",
जू प्यार कू प्रतीत छ.
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित, १४.१०.२०११)
www.pahariforum.net/

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