माधो सिंह भण्डारी जी की,
जन्मभूमि-कर्मभूमि,
पवित्र माटी प्यारे गाँव की,
होगी उन्होनें चूमी......
कूल बनाकर किया सृंगार,
माधो जी ने तेरा मलेथा,
दिया बलिदान प्रिय पुत्र का,
हृदय उनका क्रूर नहीं था....
बिन पानी के खेत थे,
पीने को नहीं था पानी,
दर्द दूर किया सदा के लिए,
मलेथा तुझे दी जवानी.....
आज आम के बगीचे हैं,
सजती लहसुन प्याज की क्यारी,
मलेथा तेरी कूल बनाकर,
अमर आज माधो सिंह भण्डारी......
महान त्याग माधो जी का,
जो दिया पुत्र का बलिदान,
धन्य है जन्मभूमि मलेथा,
माधो जी उत्तराखंड की शान........
दिनांक: ८.११.२०११
www.paharifroum.net
facebook
मित्र वेदप्रकाश भट्ट जी के अनुरोध पर उनकी सांस्कृतिक पत्रिका के लिए रचित.
E-mail: vedprakash1976@yahoo.co.in
गढ़वाळि कवि छौं, गढ़वाळि कविता लिख्दु छौं अर उत्तराखण्ड कू समय समय फर भ्रमण कर्दु छौं। अथाह जिज्ञासा का कारण म्येरु कवि नौं "जिज्ञासू" छ।दर्द भरी दिल्ली म्येरु 12 मार्च, 1982 बिटि प्रवास छ। गढ़वाळि भाषा पिरेम म्येरा मन मा बस्युं छ। 1460 सी ज्यादा गढ़वाळि कवितौं कू मैंन पाड़ अर भाषा पिरेम मा सृजन कर्यालि। म्येरी मन इच्छा छ, जीवन का अंतिम दिन देवभूमि उत्तराखण्ड मा बितौं अर कुछ डाळि रोपिक यीं धर्ति सी जौं।
Thursday, October 13, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
स्व. इन्द्रमणि बडोनी जी, आपन कनु करि कमाल, उत्तराखण्ड आन्दोलन की, प्रज्वलित करि मशाल. जन्म २४ दिसम्बर, १९२५, टिहरी, जखोली, अखोड़ी ग्राम, उत्...
-
उत्तराखंड के गांधी स्व इन्द्रमणि जी की जीवनी मैंने हिमालय गौरव पर पढ़ी। अपने गाँव अखोड़ी से बडोनी जी नौ दिन पै...
-
गढवाळि कविता, भै बंधु, मन मेरु भौत खुश होंदु, पुराणा जमाना की याद, मन मा मेरा जब औंदि, मन ही मन मा रोंदु, मुल्क छुटि पहाड़ छुटि, छु...
No comments:
Post a Comment