Thursday, October 13, 2011

"मलेथा"

माधो सिंह भण्डारी जी की,
जन्मभूमि-कर्मभूमि,
पवित्र माटी प्यारे गाँव की,
होगी उन्होनें चूमी......
कूल बनाकर किया सृंगार,
माधो जी ने तेरा मलेथा,
दिया बलिदान प्रिय पुत्र का,
हृदय उनका क्रूर नहीं था....
बिन पानी के खेत थे,
पीने को नहीं था पानी,
दर्द दूर किया सदा के लिए,
मलेथा तुझे दी जवानी.....
आज आम के बगीचे हैं,
सजती लहसुन प्याज की क्यारी,
मलेथा तेरी कूल बनाकर,
अमर आज माधो सिंह भण्डारी......
महान त्याग माधो जी का,
जो दिया पुत्र का बलिदान,
धन्य है जन्मभूमि मलेथा,
माधो जी उत्तराखंड की शान........
दिनांक: ८.११.२०११
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मित्र वेदप्रकाश भट्ट जी के अनुरोध पर उनकी सांस्कृतिक पत्रिका के लिए रचित.
E-mail: vedprakash1976@yahoo.co.in

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मलेेथा की कूल