कविवर,
कौन सी कविता सुना रहे हो,
क्या सात समुद्र पार,
उत्तराखण्ड की याद दिला रहे हो,
क्या जन्मभूमि के गुण गा रे हो,
कैसा होता है जीवन,
उत्तराखण्ड निवासियौं/प्रवसियों का,
कविता में झलक दिखा रहे हो,
शायद गढ़वाली कविता सुनाकर,
अपनी भाषा का सृंगार कर रहे हो,
याद रखना! हे कविवर,
भाषा का सम्मान और प्रसार का,
दृढ संकल्प हमारा है,
जन्मभूमि उत्तराखण्ड,
हमें पराण से प्यारा है...
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
कवि मित्र विनोद जेठुड़ी के कविता पाठ पार मेरी कविता.
३०.५.२०१२
No comments:
Post a Comment