Friday, January 11, 2013

"पीठ मा पहाड़ मुण्ड मा पहाड़"



देखि होलु तुम्न वे प्यारा पहाड़,
माँ बैणयौं कू उठैयुं हंसी ख़ुशी मन सी,
पहाड़ का बाटौं फुंड ऊद्यारी ऊकाळी,
पीठ मा पहाड़ मुण्ड मा पहाड़....

हँसी ख़ुशी मन सी करदु रन्दि छन,
ज्व छ उंकी धाण-ज्व छ उंकी धाण,
सोच्दि भी मन मा प्यारा पहाड़ छोड़ी,
बिराणा मुल्क हे क्यौकु हम्न जाण,
जनु भी मिललु यख लग्युं ज्यू पराण,
देखि होलु तुम्न वे प्यारा पहाड़,
माँ बैणयौं कू उठैयुं हंसी ख़ुशी मन सी,
पीठ मा पहाड़ मुण्ड मा पहाड़...

छोया ढुंगयौं कू पाणी पेन्दी,
हेरदि प्यारी हिंवाळी कांठी,
हैंस्दी रन्दि छन वे प्यारा मुल्क,
अफुमा सुख दुःख तैं बाँटी,
देखि होलु तुम्न वे प्यारा पहाड़,
माँ बैणयौं कू उठैयुं हंसी ख़ुशी मन सी,
पीठ मा पहाड़ मुण्ड मा पहाड़...

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
11.1.2013


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