Wednesday, January 23, 2013

"पसरा हुआ पथ"

प्रकृति के रंग रूप,
सर्वत्र फैली हुई धूप,
सतरंगी इंद्र धनुष,
छटा बिखेरता धरा पर,
निहारता है इंसान जब,
हर्षित हो उठता है मन,
किधर जा रहा है पथ,
न जाने किस शहर की ओर,
धरती पर हो रही है भोर,
पसरा हुआ है पथ,
न जाने किसकी इंतज़ार में,
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
22.1.2013

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