Friday, November 14, 2014

पहाड़ की फ्यौंलि....



पहाड़ मा जल्‍मिं,
एक नौनी थै,
जैंकु नौं थौ फ्यौंलि,
जब वा ज्‍वान ह्वै,
एक दिन बणि ब्‍योलि...

ब्‍यो का बाद वा,
अपणा स्‍वामी का दगड़ा,
गौं का सामणि,
एक बण मा बैठि,
छ्वीं बात लगौन्‍दि थै,
भारी प्रेम थौ दुयौं मा,
एक दिन, अचाणचक्‍क,
फ्यौंलि भारी बिमार ह्वै,
वींकी बचण की,
क्‍वी आस नि रै,
अंत मा फ्यौंलि का,
पराण उड़िग्‍यन,
वींकू स्‍वामी,
अति ऊदास ह्वै,
गौं का सामणि का,
पहाड़ फर वीं तैं,
दफन करेगे....

वींकू स्‍वामी रोज,
वींकी खाड फर जांदु,
बित्‍यां दिन याद करदु,
एक दिन वेन देखि,
खाड का ऐंच एक डाळि,
उपजिक बड़ी होणी,
वेन वा डाळि,
पाणिन सींची,
कुछ दिन बाद,
वीं डाळि फर एक,
पिंगळु फूल खिलि,
डाळि कू नौं धरेगे,
फ्यौंलि.......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
दिनांक: 14.11.2014

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