Monday, April 25, 2011

"दिन बौड़िक ऐगिन"

प्यारा उत्तराखंड का,
पारम्परिक ढोल का,
ढोल कू मान बढ़ौण वाळा,
परम्परा कायम रखण वाळा,
पारम्परिक ढोली का,
उत्तराखंड की शान, ढोल,
खामोश छन! जैका बोल,
उत्तराखंडियों का कारण,
जू वैकू त्रिस्कार कना छन.

सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी,
अमेरिका देश का,
संगीत का प्रोफेसर,
स्टीफन "फ्योंलिदास",
जौन सिख्यन,
पुजारगांव, चन्द्रबदनी,
टिहरी गढ़वाल का,
सोहनलाल जी सी,
ढोल की तान,
ल्हिगिन उत्तराखंड कू ढोल,
अपणा देश अमेरिका,
जख बढणि छ वैकी शान.

विजिटिंग प्रोफेसर का रूप मा,
सोहनलाल, सुकारू दास ढोली,
अब आमंत्रित छन अमेरिका,
जू सिखाला वख ढोल,
ढोल का प्यारा बोल,
बढाला वैकू दूर देश मा,
मान अर सम्मान,
हे उत्तराखंड ढोल,
तेरा "दिन बौड़िक ऐगिन",
कवि "जिज्ञासु" गदगद छ,
तू जुग जुग राजि रै.

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
दिनांक: २४.४.२०११
@सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित

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