Tuesday, April 19, 2011

बुरांस

कवि "जिज्ञासु" की नजर में,
बुरांस पहाड़ की शान है,
हर उत्तराखंडी को,
उस पर अभिमान है.
वो पहाड़ पर ही,
रहता और खिलता है,
प्रवासी उत्तराखंडियों को,
उसका रैबार मिलता है.
ऋतु बसंत में,
लौट आओ....
मैं तुम्हारे मुल्क में,
हिमालय को निहार कर,
मुस्करा रहा हूँ,
जन्मभूमि आपकी,
और मैं,
आपको याद दिला रहा हूँ.

फिर न होगा जन्म यहाँ,
न जाने वो कौन सा देश होगा,
पर्वत और मैं,
शायद वहाँ नहीं होंगे.
रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
दिनांक: १८.४.२०११'

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