Wednesday, August 1, 2012

"हिमालय हंसता हैं"


हमें देखकर,
और मूक होकर कहता है,
क्या कर डाला आपने?
मैं और मेरी सदानीरा नदियाँ,
आपके लिए वरदान हैं,
लेकिन! एक प्रश्न है,
आज हमारे सामने,
कैसे कायम रहेगा,
हमारा अस्तित्व,
जो खतरे में पड़ गया,
हे मानव! आपके कारण...

राजा भागीरथ का,
भागीरथ प्रयास,
भागीरथी के लिए,
और आपके लिए ही था,
कहीं व्यर्थ न चला जाए,
हे मानव! आपके कारण,
हमारे बिना क्या संभव है?
आपका जीवन....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टिहरी गढ़वाल,उत्तराखंड.
दूरभाष: ०९६५४९७२३६६ 
  
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)
दिनांक: १.८.२०१२

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