Thursday, October 30, 2014

सिमन्‍या बाबा जी


सिमन्‍या बाबा जी,
मैं नौनु तुमारु बोन्‍नु छौं,
नाराज नि ह्वेन तुम,
भिंडी दिनु मा फोन कन्‍नु छौं....

बेटा मेरा  हम राजि खुशी छौं,
सुख का दिन कटेणा,
सैंत्‍यु पाळ्युं छैं रे चुचा,
तेरी खुद मा खुदेणा.....

नि खुदेवा बुबा जी मेरा,
मैं राजि खुशी विदेश मा,
पर वा बात यख निछ,
ज्‍व होन्‍दि मुल्‍क देश मा.....

याद तेरी ऐ जांदि बेटा,
मन ऊदास होन्‍दु छ,
तेरु नौनु याद करदु त्‍वै,
खुद मा तेरी रोन्‍दु छ......

बग्‍वाळ्यौं मा बुबा जी मेरा,
मैं घौर औणु छौं,
गौं मुल्‍क की याद औन्‍दि,
मन अपणु बुझौणु छौं.....

घौर ऐ जांदि बेटा तू,
भैंसि हमारी ब्‍ययिं छ,
छक्‍कि छक्‍कि दूध पी जांदि,
टक्‍क हमारी लगिं छ.....

मां जी मेरी कन्‍नि छन,
कना छन मेरा नौना बाळा,
क्‍या होणु छ गौं फुंड,
कना छन सब्‍ब्‍िा गौं वाळा....

सब्‍बि छन राजि खुशी,
काखड़ि लगिं छन हमारी,
अबरि औन्‍दि खै जांदी,
टक्‍क सी लगिं छ हमारी.....


मां चंद्रबदनी दैणु होलि,
झटट हि औलु मैं घौर,
मेरी मां जी कू बोल्‍यन,
मेरी चिंता कतै न कर......

ठीक छ बुबा जी अब  ,
मैं डयूटी फर  जांदु,
टैम भी यथ्‍गा नि रंदु,
भौत बिजि ह्वै जांदु......


जुगराजि रै बेटा तू,
बुढेन्‍दा कू छैं सारु,
जब जब तू फोन करदि,
मन खुश ह्वै जांदु हमारु.......

-जगमोहन सिंह जयाडा जिज्ञासु
30.10.2014 श्री हरीश पटवाल जी के अनुरोध पर रचित

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