Thursday, October 30, 2014

बग्वाळ

    बग्‍वाळ आई,
    पटाका फोड़़ि क्‍या होन्‍दु,
    मंगसीरुन अपणा बुबा जी,
    मंग्‍तु तैं बताई.....

    मंग्‍तुन बोलि बेटा,
    पटाका की आवाज सुणि,
    भविष्‍य का भूत,
    वर्तमान मा ऐक,
    भूतकाल मा चलि जांदा,
    कुछ मनखि दारु पीक,
    क्‍वी पटाका की आवाज सुणि,
    बेहोश ह्वै जांदा,
    यनु बतौ तू किलै पूछणि छै.....
    मंगसीरुन बताई बुबाजी,
    हमारा गौं की,
    लंब पुंगड़ि का भूत,
    क्‍या बग्‍वाळ फर,
    भगि जाला.......
    -कवि "जिज्ञासु" का मन का ऊमाळ
    22.10.2014, सर्वाधिकार सुरक्षित

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