Thursday, October 30, 2014

बग्वाळ....

    दिपावली: झिलमिल-झिलमिल दिवा जगि गैना....
    देहरादून। गढ़वाली में जगमोहन सिंह जयाड़ा " जिज्ञासु"की कविता है,
    'जै दिन बानी-बानी का,
    पकवान बणदा छन,...
    वे दिन कु बोल्दा छन,
    रे छोरों आज पड़िगी,
    बल तुमारी बग्वाल।'

    सचमुच ऐसा ही रूप रहा है पहाड़ में बग्वाल का। 'बग्वाल' व 'इगास' संभवत: गढ़वाली में दीपावली के ही पर्यायवाची हैं।
    http://www.jagran.com/spiritual/religion-dipavli-blind-blind-diva-jagi-gaina-10831361.html

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