Thursday, October 30, 2014

नंदा सैसर छ जाणी......

    नंदा सैसर छ जाणी......
    मैतुड़ा छोड़िक नंदा,
    सैसर छ जाणी,
    रोणा छन मैति सब्‍बि,...
    आंख्‍यौं मा छ पाणी.....

    ऊदास छ होयिं नंदा,
    ठंडु मठु जाण्‍ाी,
    मैति मन मा सोचणा,
    भांगल्‍या जवैं यींकू,
    कनि होलि खाणी बाणी......
    खुदेलि लाडी हमारी,
    तैं ऊंचा कैलाश,
    होणी खाणी हो लाडी की,
    सब्‍यौं किछ आस.....
    -जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
    की कलम से मन की बात...21.8.14

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