Monday, April 11, 2016

डांडी कांठी......




हमारा मुल्‍क की छन,
रौंत्‍याळि अति भारी,
ऊंचि धार बिटि देखा,
हिंवाळि कांठी प्‍यारी....

डांड्यौं मा फैल्‍यां छन,
बांज बुरांस का बण,
जख बगदन गदना लगातार,
दूर बिटि देखा लग्‍दा छन,
जन हो दूध की धार....

अति प्‍यारी लग्‍दि छन,
दूर बिटि हिंवाळि कांठी,
यनि लग्‍दि जन पैरिं हो,
तौंकी सुखिलि ठांटी.... 
 
डांडा कांठौं कू मुल्‍क,
हमारु छ अति प्‍यारु,
रौंत्‍याळु मुल्‍क देश,
यीं दुन्‍यां मा न्‍यारु...... 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 11.2.2016

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