Monday, April 11, 2016

अहसास मेरु....



दिल्ली अयां मैकु,
कै साल ह्वेग्यन,
ब्वे बाब स्वर्गवासी ह्रवैन,
कूड़ी पुंगड़ि बंजेग्यन,
आवाद रखणु बस कू निछ,
नौकरी आवाद रख्णु छौं,
पर जख्या तख्खि छौं
एक दिन सोचि मन मा,
क्या मिलि मैकु?


मिलि त एक नौकरी,
दंवाळा फर सी बंध्युं छौं,
सुबेर जांदु ब्याखुनि बग्त,
जेब कतरौं सी बचिक,
घर बौड़िक औंदु,
बस की जग्वाळ मा,
जिंदगी बितौन्दु,
गाड़्यौं का भिभड़ाटमा,
मोटर सैकिल चलौण कू,
सूर सांसू नि औन्दु,
बोल्दन लोग मैकु,
आपकी नौकरी सरकारी,
तुमारी मौज छ भारी,
घुण्डु हि जाण्लु या पठठु,
कनि मौज होणि छ।


गढ़वाळि मा बोल्दन,
दिल्ली गयौं भाड़ हि झोकी,
बात सच लगणि छ,
रिटैरमेंट का कुछ साल छन,
मेरा गौं का न्यौड़ु,
प्रधान मंत्री ग्राम सड़क,
योजना का तहत बण्नि छ,
सैत लौटिक जौलु,
अपणा प्यारा गौं मुल्क,
मन मा आस जगणि छ....


अहसास मेरु,
मैकु बाटु बतौणु छ,
उत्तराखंड की धरती कू,
श्रृंगार मेरा हात सी हो,
मन मा आस जगौणु छ......

18.3.2016

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