Monday, April 11, 2016

पहाड़....



प्रिय संपादक महोदय नमस्कार,

मान्यवर अपणि गढ़वाळि कविता 'पहाड़' स्टेट एजेंडा मा प्रकाशनार्थ अर विचारार्थ भेजण लग्युं छौं। आस करदौं आप सहानुभूति पूर्वक विचार करला।
आपसी विनम्र अनुरोध छ आप प्रकाशन का बाद मैकु ई मेल का माध्यम सी कविता की फोटो जरुर भेज्यन।

आपकु,

जगमोहन सिंह जयाड़ा 'जिज्ञासू'
दिनांक 18.2.2016

पहाड़....


हम्तैं ज्यु पराण सी प्यारु छ,
यीं दुन्यां मा न्यारु छ,
हृदय सी अथाह प्यार करा,
जल्म स्थान हमारु छ.....


दिखेण मा बड़ा भारी,
लौंफेन्दा छन आगास,
ऊब उठण की प्रेरणा देन्दा,
जगौन्दा हमारा मन मा आस.....


पहाड़ का मनख्यौंन,
पहाड़ सी प्रेरणा पाई,
प्रगति करि अग्नै बढ़िक,
पहाड़ कू मान बढ़ाई.....


आज बग्त की बात छ,
हमारु पहाड़ होयुं ऊदास,
बंजेणा छन कूड़ा पुंगड़ा,
टूटणि छ वेकी आस......


मनख्यौं पहाड़ कू दर्द बिंगा,
पोंजा आज वेका आंसू,
भौत पछतैल्या एक दिन,
पहाड़ होणु छ क्वांसु.....


पहाड़ जब कौंप्दु छ,
ह्वै जान्दु तब बिकराळ,
याद करा कनि आपदा औन्दिन,
हमारा कुमाऊं अर गढ़वाळ.....

जगमोहन सिंह जयाड़ा 'जिज्ञासू'

ग्राम: बागी नौसा, पट्टी.चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाळ, उत्तराखण्ड।
दूरभाष: 09654972366

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