Tuesday, November 20, 2012

"उत्तराखंड मा ऊताणदंड"

ऊँचि धार ऐंच,
एक स्कूल मा,
कुछ नौना नौनी,
बैठ्याँ क्लास मा,
एक नौना सी,
मास्टरजिन पूछि,
बेटा बिशन सिंह बताओ,
ऊताणदंड का मतलब,
क्या होता है?
बिशन सिंहन बोलि,
गुरूजी उत्तराखंड,
गुरुजिन पूछि,
बल कैसे,
देखा गुरूजी,
जब बिटि राज्य बणि,
हमारा स्कूल मा,
विद्यार्थी घटिग्यन,
होन्दा खान्दा लोग,
पहाड़ छोड़िक चलिग्यन,
तुमारु नौनु भी,
देखा देरादूण पढ़णु छ,
मनखी कम ह्वैगिन,
बाँदर सुंगर बढिग्यन,
ऊ टरकौण लग्यां छन,
उत्तराखंड तैं जन,
भेळ फरकौण लग्यां छन,
उत्तराखंड की राजधानी,
पहाड़ नि बणि सकि,
ह्वै न उत्तराखंड कू मतलब,
ऊताणदंड
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित  20.11.12
 

मित्र श्री जयप्रकाश पंवार जी की बात .... इन्टरनेट के ज़माने मे, सचिवालय के बगल मे बैठने की जरूरत नहीं है. इन उल्लुओ को कोई तो समझाओ भाई....गैरसैण को अब पक्का राजधानी बनाओ भाई ......"गैरसैण" पुस्तक से आगे.....पर रचित मेरी कविता "उत्तराखंड मा ऊताणदंड"

 

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