Wednesday, April 10, 2013

"फौजी बीरू भैजी कू पहाड़"


लिखि पड़िक भैजी,
पौंछिगे कालौं का डांडा,
फौज मा भर्ती होण,
मन मा वैका देश प्रेम,
मैन देश की रक्षा कन्न,
दुश्मन सी देश बचौण.....


भर्ती ह्वैक भैजी,
रंगरूट बणिक सीखण लग्युं,
कनुकैक दुश्मन भगौण,
अपणि रक्षा का खातिर,
दुश्मन का ठिकाणा फर,
लुकिक कनुकै गोळी चलौण......

देश की सेवा करदु,
अपणा मुल्क औन्दु जांदु,
जब बितिग्यन भौत साल,
फौज सी रिटायरमेंट ह्वैक,
रौण लगि देरादूण,
उत्तराखंड गढ़वाळ........


भौत साल बाद वैका,
मन मा गौं भ्रमण की,
एक इच्छा जागी,
मैं अपणा गौं जाणु,
यनु बतैक घर परिवार तैं,
यकुलि भौंरू बणिक भागी......


अपणा गौं मा पौंछिक,
पैलि गै फौजी भैजी,
जख थौ मंदिर अर मंडाण,
हाथ जोड़ी देवी देव्तौं कू,
मन मा वैका ऊमाळ आई,
कनि थै पैलि रीत रसाण......


फिर घूमि गौं बाखी मा,
वैकु बचपन का दगड़यौं की,
जौं दगड़ि हैंसी खेली खाई,
सुनसान टुट्याँ घर देखिक,
बदल्युं मिजाज गौं कू हेरी,
बित्याँ दिनु की भौत याद आई......


गौं का एक सुनसान घर मू,
वैकु एक बुढ्या नजर आई,
जैकु वैन जोर सी धै लगाई,
पर बुढ्या न सुणदु न देख्दु,
न्योड़ु पौंछि जब ऊ बुढ्या का,
मैं बीरू फौजी छौं बताई......


बीरू फौजी की बाच सुणिक,
बुढ्या दण मण रोण लगि,
न पूछ, हे! बेटा,
यु गौं अब समसाण ह्वैगि,
कैकि लगि होलि नजर,
देव्ता रूठिन या पित्र,
यख मनखि कम ही रैगि,
मैं दिन गैण्नु छौं जिंदगी का,
यूँ आंख्यौ का सामणी,
मोळ अर माटु ह्वैगि........


तेरी तरौं औन्दा छन,
परदेश बस्याँ गौं का लोग,
मेरु मन सब्यौं मू,
छकि छकिक रवैगि,
जा बेटा! ये गौं खातिर,
सदानि का खातिर,
घोर अंधेरु ह्वैगि......


फौजी बीरू भैजी कू पहाड़,
गौं भी आज उत्न बित्न ह्वैगि,
देखि दुर्दशा वैकु मन भि रवैगि,
या बग्त की बात या असगार,
मन मरिक वैकु ऊदास ह्वैगि.....


-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
रचना सर्वाधिकार सुरक्षित, 10.4.2013
प्रिय मित्र मनीष मेहता जी की इच्छानुसार रचित, लोकरंग पर प्रकाशित
इक फौंजी बरसो बाद अपने पहाड़ लौटता है, देखता है कि जो पहाड़ वो छोड़ के गया था वो कही खो गया है, उससे अपनी बचपन और जवानी की सभी यादें आती है, क्या क्या था कहाँ चला गया, उदास होक पुरे गाँव में भ्रमण करता है, इक चौखट पे इक बुडा मिलता है नान आँख देख सकता है न सुन सकता है, जब उसको वो अपना परिचय देता है और पूछता है कहाँ गए सब लोग तो बुडा रो पड़ता है बस आँखों से आँसू छलक पड़ते है !
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