Saturday, April 6, 2013

"लगोठ्या कख भागी"

असन्द बितिं छ ब्याळी बिटि,
बोडा बबड़ाट कन्नु छ,
हे बेटौं वे खोजिक ल्ह्यावा,
ज्यू पराण छ मेरु,
नितर मैन मरि जाण,
वैका बिना झट्ट पट्ट,
सच छौं बोन्नु तुमारा सौं.....

मरदि बग्त तुमारा दादाजिन,
दिनि थौ मैकु ऊ लगोठ्या,
यनु बोलिक जेठ्वाळी छ या,
सैंति समालिक़ रखि,
तेरि दादी तैं दैजा मिलिं,
तीलु बाखरी की निसाणि छ,
पर आज कनु अभाग आई,
"लगोठ्या कख भागी",
खोजा दौं हे! लाठ्यालौं.....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
रचना सर्वाधिकार सुरक्षित 6.4.2013

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल