Sunday, April 7, 2013

"हला छोरा"

ऊंड बजौ तैं बाँसुळ,
देख ऊलारया मैनु लग्युं छ,
हमारा मुल्क मौळयार छयुं छ,
कुछ दिन मा कौथिग आला,
चल हे दगड़या!माल्डा का मेला,
गौं  का बाटा फुंड हिट्दु,
हमारा गौं का कौथगेर,
धै लगाला अर भट्याला....

आज मेरु मन अल्सेयुं छ,
कुजाणि क्यौकु ऊदास होयुं छ,
मन मा सेळी सी पड़लि तब,
दादु मेरी ज्युकड़ी ऊलारया छ,
मैं पहाड़ कू पोथलु,
बुरांश कू रसिया,
हिल्वांसि मन छ मेरु,
ऊंड बजौ तैं बाँसुळ,
मेरु ज्यु पराण खुदेयुं छ....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
रचना सर्वाधिकार सुरक्षति
7.4.13







 

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