Saturday, April 6, 2013

स्वप्न में.....



जनता की इच्छा से मैं,
उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बन गया,
कैसे हुआ ये? माथा मेरा ठन गया,
मैं नहीं बनना चाहता प्रिय जनता,
मैंने जनता को बताई लाचारी,
विकास हो उत्तराखंड का,
आपकी तरह ही है इच्छा हमारी...

मेरी अनिच्छा भांपकर,
कुछ कवि मित्र मेरे पास आए,
नतमष्तक हो समझाने लगे,
मौका हाथ से मत गंवाओ,
मौका मिला है जिंदगी में,
खाओ और कमाओ,
कवि सम्मलेन करवाओ....

रात खुल चुकी थी,
स्वप्न टूटा आँखे खुली,
सामने दीवार घड़ी नजर आई,
जय हो बद्रीविशाल जी,
मन से मैंने पुकार लगाई....

-कवि जगमोहन सिंह जयाड़ा  "जिज्ञासु" 6.3.13
सर्वाधिकार सुरक्षित

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल