Wednesday, July 6, 2011

"मन ऊदास छ"

(रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" ६.७.२०११)
कुजाणि किलै? ये दूर देश मा,
वे प्यारा उत्तराखण्ड प्रदेश, गढ़देश सी दूर,
आज अफुमा होयुं छ, बोला त खोयुं छ,
खुदेड़ दिन भि निछन...
होंदु होलु अहसास आपतैं भि,
जब चंचल मन, ठहरी जांदु छ,
द्योरा मा आज ये बस्गाळ,
बदळ बोला या मेघदूत, जौं तैं हेरि देखि,
"मन ऊदास छ", यनु सोचिक,
सैद अयाँ छन, वे प्यारा मुल्क पहाड़ सी,
रैबार ल्हीक, कै लंगि संगि या दगड़्या कू,
मन पराण सी प्यारी माँ जी कू,
पर बात ज्व भि हो, "मन ऊदास छ".
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)
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