उत्तराखंड आन्दोलन कू गवाह छ,
जैन देखि,
आन्दोलनकर्ताओं कू दमन,
क्रूर पुलिस का द्वारा.
जौन आन्दोलनकारी,
बन्दूक का बटन,
डंडौन अर ढुंगौन,
बुरी तरौं पिट्यन,
निर्दयी ह्वैक.
अलकनन्दा उदास थै,
घटना की गवाह थै,
आन्दोलनकर्ताओं कू जोश,
बलिदानियौं कू बलिदान,
रंग ल्ह्याई,
सुपिनु साकार ह्वै,
उत्तराखण्ड राज्य बणि.
कैकु फैदा ह्वै?
जनता कू,
आन्दोलनकर्ताओं कू,
या नेतौं कू.
रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु "
(सर्वाधिकार सुरक्षित ८.६.२०१०)
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.com/
http://www.facebook.com/media/set/?set=a.1401902093076.2058820.1398031521
गढ़वाळि कवि छौं, गढ़वाळि कविता लिख्दु छौं अर उत्तराखण्ड कू समय समय फर भ्रमण कर्दु छौं। अथाह जिज्ञासा का कारण म्येरु कवि नौं "जिज्ञासू" छ।दर्द भरी दिल्ली म्येरु 12 मार्च, 1982 बिटि प्रवास छ। गढ़वाळि भाषा पिरेम म्येरा मन मा बस्युं छ। 1460 सी ज्यादा गढ़वाळि कवितौं कू मैंन पाड़ अर भाषा पिरेम मा सृजन कर्यालि। म्येरी मन इच्छा छ, जीवन का अंतिम दिन देवभूमि उत्तराखण्ड मा बितौं अर कुछ डाळि रोपिक यीं धर्ति सी जौं।
Thursday, July 7, 2011
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