(हमारा कुमाऊँ अर गढ़वाळ)
(रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित दिनांक: २१.७.२०११)
जन नैनीताल, काणाताल, डोडीताल, मात्री ताल,
गरूड़ ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, राम ताल,
लक्ष्मण ताल, सीता ताल, नल-दमयंती ताल, भीमताल,
क्या कायम रलु सदानि अस्तित्व यूंकू, मन मा छ सवाल?
हमारा प्यारा रंगीला कुमाऊँ अर छबीला गढ़वाळ.......
पहाड़ मा "पाणी का भरयाँ ताल",
फिर भी पर्वतजन तिस्वाळा, मन मा छ सवाल?
जल संरक्षण, पहाड़ की पुरातन परम्परा,
आज यथगा जागरूक निछन पर्वतजन,
अतीत कू प्रयास, मन्ख्यौं कू या प्रकृति कू,
हमारा खातिर छ मिसाल.....
पहाड़ की सुन्दरता मा चार चाँद लगौंदा छन,
हरा भरा जंगळ अर "पाणी का भरयाँ ताल",
हैंसदु हिमालय, जख बिटि निकल्दी छन धौळि,
जन अलकनंदा, भागीरथी, यमुना, मंदाकनी,
पिंडर, कोशी, रामगंगा, पूर्वी पश्चिमी नयार,
धोन्दी छन तन मन कू मैल पहाड़ का मन्ख्यौं कू,
उदगम यूंका छन "पाणी का भरयाँ ताल"......
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.com/
http://www.facebook.com/media/set/?set=a.1401902093076.2058820.1398031521
गढ़वाळि कवि छौं, गढ़वाळि कविता लिख्दु छौं अर उत्तराखण्ड कू समय समय फर भ्रमण कर्दु छौं। अथाह जिज्ञासा का कारण म्येरु कवि नौं "जिज्ञासू" छ।दर्द भरी दिल्ली म्येरु 12 मार्च, 1982 बिटि प्रवास छ। गढ़वाळि भाषा पिरेम म्येरा मन मा बस्युं छ। 1460 सी ज्यादा गढ़वाळि कवितौं कू मैंन पाड़ अर भाषा पिरेम मा सृजन कर्यालि। म्येरी मन इच्छा छ, जीवन का अंतिम दिन देवभूमि उत्तराखण्ड मा बितौं अर कुछ डाळि रोपिक यीं धर्ति सी जौं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
स्व. इन्द्रमणि बडोनी जी, आपन कनु करि कमाल, उत्तराखण्ड आन्दोलन की, प्रज्वलित करि मशाल. जन्म २४ दिसम्बर, १९२५, टिहरी, जखोली, अखोड़ी ग्राम, उत्...
-
उत्तराखंड के गांधी स्व इन्द्रमणि जी की जीवनी मैंने हिमालय गौरव पर पढ़ी। अपने गाँव अखोड़ी से बडोनी जी नौ दिन पै...
-
गढवाळि कविता, भै बंधु, मन मेरु भौत खुश होंदु, पुराणा जमाना की याद, मन मा मेरा जब औंदि, मन ही मन मा रोंदु, मुल्क छुटि पहाड़ छुटि, छु...
No comments:
Post a Comment