Thursday, July 21, 2011

"पाणी का भरयाँ ताल"

(हमारा कुमाऊँ अर गढ़वाळ)

(रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित दिनांक: २१.७.२०११)

जन नैनीताल, काणाताल, डोडीताल, मात्री ताल,
गरूड़ ताल, नौकुचिया ताल, सूखा ताल, राम ताल,
लक्ष्मण ताल, सीता ताल, नल-दमयंती ताल, भीमताल,
क्या कायम रलु सदानि अस्तित्व यूंकू, मन मा छ सवाल?
हमारा प्यारा रंगीला कुमाऊँ अर छबीला गढ़वाळ.......

पहाड़ मा "पाणी का भरयाँ ताल",
फिर भी पर्वतजन तिस्वाळा, मन मा छ सवाल?
जल संरक्षण, पहाड़ की पुरातन परम्परा,
आज यथगा जागरूक निछन पर्वतजन,
अतीत कू प्रयास, मन्ख्यौं कू या प्रकृति कू,
हमारा खातिर छ मिसाल.....

पहाड़ की सुन्दरता मा चार चाँद लगौंदा छन,
हरा भरा जंगळ अर "पाणी का भरयाँ ताल",
हैंसदु हिमालय, जख बिटि निकल्दी छन धौळि,
जन अलकनंदा, भागीरथी, यमुना, मंदाकनी,
पिंडर, कोशी, रामगंगा, पूर्वी पश्चिमी नयार,
धोन्दी छन तन मन कू मैल पहाड़ का मन्ख्यौं कू,
उदगम यूंका छन "पाणी का भरयाँ ताल"......
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.com/
http://www.facebook.com/media/set/?set=a.1401902093076.2058820.1398031521

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल