Tuesday, July 26, 2011

"पंछी होन्दा"

रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित दिनांक: २५.७.२०११)
पैलि प्यारा पहाड़, फुर्र उड़िक जान्दा,
भमोरा,काफळ,खैणा, तिम्ला खूब खांदा,
बांज, बुरांश की डाळ्यौं मा बैठिक,
टक्क लगैक, वे उत्तराखंड हिमालय तैं हेरदा...
अनंत आकाश मा उड़ि-उड़िक,
पंच बद्री,पंच केदार, पंच प्रयाग,
जगनाथ,बागनाथ जी का दर्शन करदा...
देवभूमि देवप्रयाग जख,
श्री रामचन्द्र जी त्रेता युग मा ऐ था,
मनोहारी अलकनंदा-भागीरथी संगम फर,
नहेन्दा अर टक्क लगैक देखदा...
चन्द्रबदनी,सुरकंडा,कुंजापुरी,धारीदेवी,
कमलेश्वर, किकलेश्वर, सैणा श्रीनगर,
देवी देवतौं का दर्शन करदा....
प्यारा उत्तराखंड का हरेक गौं का,
रीत-रिवाज, संस्कृति का दर्शन करदा,
"पंछी होन्दा" आजाद ह्वैक,
देवभूमि उत्तराखंड मा विचरण करदा.
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
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