Friday, February 1, 2013

"लम्ब गौं की गाड़ी"


चन्नु शुरू ह्वै,
जब सड़क बणि,
लम्ब गौं तक,
देश की आजादी का बाद,
जब राजशाही कू अंत ह्वै,
टिहरी गढ़वाळ मा...

ऊबरि भड़ल्याणा मू,
गाड़ी कू पुळ नि थौ बणयुं,
भड़ल्याणा कू भड़ जनु,
जबरू पल्लेदार ल्हिगी  थौ,
पीठ मा गाड़ी कू  इंजन,
भागरथी पार मोटणा तक...

रौणयाँ गौं का द्वी माळदार' 
एक ही नौं का द्वी ठेकेदार,
जौंकु नौं थौ नत्थू रांगड़,
जौंकु बोल्दा था,
 नत्थू  कसेप अर नत्थू गरूड़,
उंकी द्वी गाड़ी चल्दि थै,
 मोटणा बिटि लम्ब गौं तक...

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" 
सर्वाधिकार सुरक्षित 2.1.13
श्री नारायण सिंह जी  बरियाल, ग्राम- घोल्ड़ाणी से प्राप्त जानकारी पर आधारित
   

   

    
 

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