Tuesday, February 26, 2013

"हे! ढुंगा फर न लिख"


मैन बोलि क्योकु,
मै त कवि छौं,
जरूर लिख्लु ,
वेन ब्वोलि,
ढुंगू ढुंगू ह्वोन्न्दु,
के काम कू....

मैन ब्वोलि, हे चुचा,
प्राईमरी स्कूल,
किमधार मा,
अपणा गौं का न्योड़ु,
मैन ढुंगा फर ही,
लिखणु पढ़णु सीखि,
जैंकु ब्वोल्दा छन स्लेट,
त्येरुजमानु कुछ और हिछ,
सैत त्वेन देखि भी नि ह्वोलि...

ढुंगा का गुण सुण,
तुमारा कूड़ा फर,
पित्रकुट्यौं फर,
देवतौं का मंदिर मा,
जख भी देख,
ढुंगा ही लग्यां छन....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित
26.2.2013

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