Saturday, February 23, 2013

"एक ढुंगु बणे देवा"


जब आदेश वैकु आलु,
दूत वैकु,
डोरड़ा फर बांधिक,
लसोड़िक ल्हिजालु,
बोललु ऊ,
बोल रे कवि,
बतौँ तेरु हिसाब,
फिर बतालु,
बणि जा तू एक ढुंगु,
तब मै बोललु,
मैकु उत्तराखंड कू,
एक ढुंगु बणे देवा....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
23.2.13



Jayprakash Panwar wah....amaging..

Dataram Chamoli सशक्त भावाभिव्क्ति

बलदाऊ गोस्वामी सम्मानित श्री जगमोहन जी अति सुन्दर रचना शुंभ-शुभकामनाऐं।

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