Thursday, January 26, 2012

"नेता बणि जौलु रे"

देख्दु जावा तुम, कुछ दिन की बात छ,
वे प्रभु का हाथ छ,
होलि कृपा जू तुमारी,
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...

जीती जौलु जब,
झट पट्ट मैं भी, वे प्यारा देरादूण,
विधान सभा मा जौलु रे,
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...

जीती जौलु जब,
चलि जौलु प्रतिनिधि बणि, पहाड़ सी दूर,
सदानि मन मा ख्याल, तुमारु रलु रे,
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...

जीती जौलु जब,
पूरा पांच साल, देहरादून रौलु रे,
सच छौं बोंनु, पहाड़ औलु रे,
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...

जीती जौलु जब,
ये पहाड़ जब आलि, आफत तुम फर,
सच छौं बोंनु, देखण औलु रे,
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...

जीती जौलु जब,
तुमारी आंख्यौं कू मैं,
तारु बणि जौलु रे, बौड़ी बौड़ी औलु रे,
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...

तुमारा हाथु कू साथ,
पिठैं अर फूल पात,
याँ सी क्या छ भलि बात,
हे! तब नेता बणि जौलु रे,
तुमारु सेवाकार रौलु रे.....
नेता बणि जौलु रे-नेता बणि जौलु...
कवि: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित २७.१.२०१२)
www.pahariforum.net

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