Monday, December 16, 2019

"तौं डाँड्यौं का पार"


पंचाचूली, त्रिशूली,
शिवजी का कैलाश,
नंदा घूंटी प्यारी जख,
नंदा कू निवास....

चौखम्भा, केदारकाँठा,
कनि स्वाणि कांठी,
कुमाऊँ गढ़वाल छन,
ऊंचि-ऊंचि डांडी.....

हिंवाळि काँठ्यौं तैं हेरा,
जब औन्दु घाम,
सोना चाँदी सी चमकदि,
देवतौं का धाम.....

ह्यूंचळि काँठ्यौं तैं हेरि,
औन्दु छ उलार,
मन बोल्दु फुर्र उड़ि जौं,
तौं डाँड्यौं का पार.....

हिंवाळ्यौं मा चमलांदु,
ढूध जनु ह्यूं
ख्वै जान्दु छ मन,
खुश होन्दु ज्यू......

(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास: संगम विहार, नई दिल्ली
9.9.2009 दूरभास:9868795187
E-Mail: j_jayara@yahoo.com

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