नहीं होने दिया आपसे दूर,
भले ही वक्ष में उठी वेदना ने,
बेदर्द होकर अपना वार किया,
याद आई, देवभूमि के देवताओं की,
वेदना से त्रस्त होते हुए भी,
बार-बार उनका नाम लिया,
जो जी रहा हूँ आज,
बद्रीविशाल जी ने मुझे,
जीवनदान दिया.
लौटा ही था मैं पहाड़ से,
लाया था कुछ छायाचित्र,
लिखी थी एक कविता आपके लिए,
"पहाड़ पूछ रहे थे"
शायद पढ़ी होगी आपने.
मैं तो यही कहूँगा मित्रों,
मुझे बचाया,
"आपकी दुआओं ने" भी.
जगमोहन सिंह जयारा "ज़िग्यांसू"
ग्राम: बागी-नौसा, चन्द्रबदनी, टेहरी गढ़वाल
१२.१०.२००९ को मेरे दिल में दर्द(हृदयघात) हुआ. वेदना के उन छणों में मित्रों मुझे आप लोगों की बहुत याद आई. आज मैं ठीक होकर आपके बीच लौट आया हूँ. भीष्म कुकरेती जी
और पराशर गौड़ जी ने दूरभास पर मेरा हाल पूछा, शुभकामनाएं दी...कैसे भूल सकता हूँ.
भले ही वक्ष में उठी वेदना ने,
बेदर्द होकर अपना वार किया,
याद आई, देवभूमि के देवताओं की,
वेदना से त्रस्त होते हुए भी,
बार-बार उनका नाम लिया,
जो जी रहा हूँ आज,
बद्रीविशाल जी ने मुझे,
जीवनदान दिया.
लौटा ही था मैं पहाड़ से,
लाया था कुछ छायाचित्र,
लिखी थी एक कविता आपके लिए,
"पहाड़ पूछ रहे थे"
शायद पढ़ी होगी आपने.
मैं तो यही कहूँगा मित्रों,
मुझे बचाया,
"आपकी दुआओं ने" भी.
जगमोहन सिंह जयारा "ज़िग्यांसू"
ग्राम: बागी-नौसा, चन्द्रबदनी, टेहरी गढ़वाल
१२.१०.२००९ को मेरे दिल में दर्द(हृदयघात) हुआ. वेदना के उन छणों में मित्रों मुझे आप लोगों की बहुत याद आई. आज मैं ठीक होकर आपके बीच लौट आया हूँ. भीष्म कुकरेती जी
और पराशर गौड़ जी ने दूरभास पर मेरा हाल पूछा, शुभकामनाएं दी...कैसे भूल सकता हूँ.
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