तिबारि कू खम्ब तोड़ी,
वे पहाड़ से मुख मोड़ी,
लग्यां छौं हम बाट,
खोजणा छौं दूर देश मा,
बौळ्या की तरौं,
अपणी संस्कृति त्यागिक,
आयाश जिंदगी का ठाट.
लिप्सा भलि नि होन्दि,
साक्यौं पुराणी संस्कृति हमारी,
सबसी प्यारी छ,
करा मान सम्मान,
वीं धरती अर् पहाड़ कू,
ज्व जन्मभूमि हमारी छ.
परदेशी लोगु का दगड़ा,
जिंदगी जीणु आसान निछ,
अपणी संस्कृति छोड़ा,
बणि जावा मोळ माटु,
ऊंका दगड़ा,
लगदु यू ही छ.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास: संगम विहार, नई दिल्ली
20.8.2009 दूरभास:9868795187
वे पहाड़ से मुख मोड़ी,
लग्यां छौं हम बाट,
खोजणा छौं दूर देश मा,
बौळ्या की तरौं,
अपणी संस्कृति त्यागिक,
आयाश जिंदगी का ठाट.
लिप्सा भलि नि होन्दि,
साक्यौं पुराणी संस्कृति हमारी,
सबसी प्यारी छ,
करा मान सम्मान,
वीं धरती अर् पहाड़ कू,
ज्व जन्मभूमि हमारी छ.
परदेशी लोगु का दगड़ा,
जिंदगी जीणु आसान निछ,
अपणी संस्कृति छोड़ा,
बणि जावा मोळ माटु,
ऊंका दगड़ा,
लगदु यू ही छ.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास: संगम विहार, नई दिल्ली
20.8.2009 दूरभास:9868795187
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