Monday, December 19, 2011

"कथगा खैल्यु"

(रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" )
भिन्डी त नि बोल्दौं मैं,
पर जथगा मेरा भाग मा होलु,
राळी राळिक अपणा हाथन,
बड़ा बड़ा गफ्फा मारिक,
अर सपोड़िक जरूर खौलु,
तुमारु नि खौलु, कैकु नि खौलु,
अपणा हाथुन मेहनत की खौलु...

पूछा वे सनै, जू फ़ोकट की,
लूट औताळि की, बिराणी पीठी मा,
सदानि खांदु, बेदर्द ह्वैक,
पिचास की तरौं, मनखि ह्वैक भी,
तब्बित पूछि नेगीदान,
अपणा गढ़वाली गीत का द्वारा,
हे तू "कथगा खैल्यु" हराम की,
चुचा मेहनत की खा.
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित २०.१२.११)
www.pahariforum.net

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