बीति बचपन छै बरस तक,
मुज्जफर नगर मा,
याद छ मैकु मरिगे थौ मैं,
एक दिन बीच सड़क मा....
मुज्जफर नगर मा,
याद छ मैकु मरिगे थौ मैं,
एक दिन बीच सड़क मा....
सड़क पार कन्न लग्युं थौ,
कुजाणि कख बिटि जीप आई,
धक्का सी लगि मैं फर,
चारी टैर का बीच पाई....
कुजाणि कख बिटि जीप आई,
धक्का सी लगि मैं फर,
चारी टैर का बीच पाई....
बचिग्यौं मैं बड़ा भाग सी,
उन्नीस सौ छयासठ की बात,
कुल देब्तौं की कृपा ह्वै,
जोड़दु छौं मैं जौंकु हात.....
उन्नीस सौ छयासठ की बात,
कुल देब्तौं की कृपा ह्वै,
जोड़दु छौं मैं जौंकु हात.....
गढ़वाळ ल्हिग्यन बुबा जी मैकु,
ऊ दिन आज भी मैकु याद,
सन सड़सठ कू साल थौ ऊ,
गढ़वाळ बिति बचपन वेका बाद....
ऊ दिन आज भी मैकु याद,
सन सड़सठ कू साल थौ ऊ,
गढ़वाळ बिति बचपन वेका बाद....
स्कूल गयौं नौं लिखाई,
हेडमास्टर स्व. भवानी दत्त डंगवाळ,
पाटी बोदग्या हात रंदु थौ,
हिटदु उद्यार ऊकाळ.....
हेडमास्टर स्व. भवानी दत्त डंगवाळ,
पाटी बोदग्या हात रंदु थौ,
हिटदु उद्यार ऊकाळ.....
याद छ मैकु लड़ै लगि थै,
सन इकहत्तर कू थौ साल,
भारी प्रेम थौ गौं गौळा मा,
गरीबी भौत थै गढ़वाळ.....
सन इकहत्तर कू थौ साल,
भारी प्रेम थौ गौं गौळा मा,
गरीबी भौत थै गढ़वाळ.....
मन मा भारी ऊलार रंदु थौ,
औन्दि बग्वाळ लग्दा थौळ,
बड़ु होयौं तब लगौण लग्यौं,
पुंगड़ौं मा अपणा हौळ.....
औन्दि बग्वाळ लग्दा थौळ,
बड़ु होयौं तब लगौण लग्यौं,
पुंगड़ौं मा अपणा हौळ.....
मन मा बात बसिं थै मेरा,
ध्यान सी कन्न पढ़ाई,
बिति बचपन अहसास ह्वै,
जीवन रुपी नाव बढाई....
ध्यान सी कन्न पढ़ाई,
बिति बचपन अहसास ह्वै,
जीवन रुपी नाव बढाई....
कसक ऊठि मन मा मेरा,
गढ़वाळि कविता लिखण लगिग्यौं,
धरती सी चलि जांदु वे दिन,
मन की बात बतैग्यौं......
गढ़वाळि कविता लिखण लगिग्यौं,
धरती सी चलि जांदु वे दिन,
मन की बात बतैग्यौं......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
दिनांक: 21.5.2015
दिनांक: 21.5.2015
No comments:
Post a Comment