Monday, June 8, 2015

परदेश मा.....


बोल्‍िा थौ स्‍वर्गवासी,
ब्‍वै बुबाजिन मैकु,
तू ढंग सी रै,
कैकि बात्‍तु मा कब्‍बि,
धोक्‍का मा नि ऐ,
अपणा काम सी सदानि,
मतलब रखि,
सुदि नि जाणु कै दगड़ि,
भौं कखि,
भौं कैकु दिन्‍युं,
सुदि न खै,
दरोळि मतोळि सी,
दूर हि  रै,
बस मा बैठलि त,
डरेबर की सीट सी,
चार सीट पिछनै बैठि,
अपणु ख्‍याल रखि,
या जिंदगी अपणा हात छ,
ढंग सी रै परदेश मा......

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु,
रचना सर्वाधिकार सुरक्षित,
दिनांक: 9.6.2015

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