Sunday, May 15, 2011

"यनु बोल्दा छन"

(रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")

मेरा मुल्क खासपट्टी,
टिहरी गढ़वाल मा,
दाना सयाणा भै बन्ध.....

बरखा बरखी डागर,
द्योरू बरखी डागर,
तब त समझा सच छ,
खासपट्टी मा अबरखण,
हळसुंगि बल काकर,
बल "यनु बोल्दा छन".....

छाँछ मागण जाण त,
भांडु क्यौकु लुकौण,
ज्व बात सच छ,
कतै नि छुपौण,
बल "यनु बोल्दा छन".....

गंगा जी का छाला फुन्ड,
थौ जाण लग्युं,
बल भौ सिंह ठेकेदार,
बोन्न लगि,
त्वैन क्या जाणन,
हे गंगा माई,
यख फुन्ड ऐ थौ,
भौ सिंह ठेकेदार,
वैन धोळ्यन धौळी मा,
रुपया कुछ कल्दार
बल "यनु बोल्दा छन".....
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं मेरे ब्लॉग और पहाड़ी फोरम पर प्रकाशित)
दिनांक: १६.५.११

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