Thursday, May 19, 2011

"कूड़ी बांजा पड़्यन तेरी"

(रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
भारी गाळ माणदा था,
मेरा मुल्क का मनखी,
जू कैन यनु बोल्यालि,
पर आज यनु निछ.......
जौंकी कूड़ी बांजा छन पड़ीं,
हमारा प्यारा मुल्क,
कुमौं अर गढ़वाळ,
समझा आज ऊँकू,
विकास होयुं छ......
विकास की दौड़ मा,
हमारा मुल्क कू,
हरेक मनखी खोयुं छ,
आज आशीर्वाद छ,
जू क्वी यनु बोलु,
"कूड़ी बांजा पड़्यन तेरी"....
(सर्वाधिकार सुरक्षित, पहाड़ी फोरम, मेरे ब्लाग पर प्रकाशित)
दिनांक: १८.५.२०११
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.com/

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