Sunday, May 29, 2011

"तुमारा बाना"

(रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" २९.५.२०११)
मैंन कलम हाथ मा उठाई, कल्पना मा तुमारु ख्याल आई,
कुलदेवी भगवती चन्द्रबदनी, सरस्वती जी का आशीर्वाद सी,
हे मेरी प्यारी कविताओं, मेरा मन मा तुमारा सृजन कू,
कुछ यनु ख्याल आई, कोरा कागज फर मैंन कलम घुमाई,
मेरा प्यारा पाठकु अर प्रशंसकुन, मेरु भौत उत्साह बढाई....
गढ़वाली भाषा अर पहाड़ फर कविता, मेरु रचना संसार छ,
मैं कवि जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु", पहाड़ मेरी आस छ,
कालजई कविताओं मेरी, हरेक पर्वतजन का मन मा बसि जावा,
जनु मेरु भाव व्यक्त करयुं छ, ऊँका मन मा पहाड़ प्रेम जगावा,
मेरा मन की आस छ, पहाड़ प्रेम की प्यारी कुतग्याळि लगावा,
मेरु मन बोल्दु छ, देवभूमि उत्तराखंड तैं देखौं अनंत आकाश सी,
समस्त उत्तराखंड तैं देखौं, अपणा आँखौंन जैक बिल्कुल पास सी,
पहाड़ फर मेरी प्यारी कविताओं, मैंन "तुमारा बाना" कलम उठाई ,
प्यारा उत्तराखंडी भै बन्धों का मन मा, पहाड़ प्रेम की आस जगाई.
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित, दूरभास: 09868795187)
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.com/
http://www.facebook.com/media/set/?set=a.1401902093076.2058820.1398031521

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल