Monday, May 23, 2011

"ढाँगु"

(जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
पौड़ी गढ़वाल का,
ढाँगु उदयपुर की,
नि छौं कन्नु बात....
बात यनि छ,
जब बल्द अर मनखी,
बुढ्या ह्वै जान्दु,
त वैकु बोल्दा छन,
बुढ्या "ढाँगु" ह्वैगि....
उत्तराखंड कू मोती ढाँगु,
जै फर लग्युं गीत,
पहाड़ मा प्रसिद्ध छ,
वैकु मोल नौ रूप्या,
पर वैका सिंग कू मोल,
सौ रूप्या थौ......
शरील कू सदानि,
साथ नि रंदु,
बल्द हो या मनखी,
एक दिन "ढाँगु" ह्वै जान्दु.
(सर्वाधिकार सुरक्षित, पहरी फोरम, मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित)
दिनांक: २२.५.२०११
http://www.pahariforum.net/forum/index.php/topic,37.135.html
http://jagmohansinghjayarajigyansu.blogspot.com/

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