Friday, October 28, 2016

कुदरत की मार.....



आज भी याद छ,
जब केदार जी का धाम मा,
भयंकर आफत आई,
सोलह जून द्वी हजार तेरा कू,
ऐतवार कू दिन थौ वे दिन,
तीन दिन बिटि लगातार,
भारी बरखा होणि थै,
सुबेर भैंरानाथ मंदिर वाळु पाड़,
टूटिक रड़्न लगिगे थौ,
केदार नाथ मंदिर बिटि,
भैंरानाथ मंदिर वाळु बाटु,
बिल्कुल बंद ह्वैगे थौ,
दूध गंगा अर मधु गंगा मा,
अथाह पाणी बगणु थौ,
छै बजिक पचास मिनट फर,
आरती का बग्त सी पैलि,
ब्याखुनि बग्त केदार मा,
पाणी अर मलवा कू सैलाब,
बड़ा बेग सी आई,
शंकराचार्य जी की समाधि,
अर कै आश्रम बगिगे था.....

मंदिर का आस पास,
पाणी भरेगि थौ,
कै मनखि बगिगे था,
कुछ लोग जंगळ जथैं,
जान बचौण का खातिर,
दूर चलिगे था,
बाद मा लौटिक ऐन,
बड़ा बड़ा ढुंगा बगिक ऐन,
मंदिर का पिछ्नै,
मरयां दब्यां मनखि,
यथैं वथैं पड़्यां था,
घनाघोर अंधेरा मा यात्री,
गोरु बाखरौं की तरौं,
बच्यां कमरौं फर बैठिक,
पूजा पाठ अर मंत्र जपणा था,
कुछ सोचणा था,
मरी जौला त केदार धाम मा,
मोक्ष मिलि जालु,
सैडि रात लोग से नि सक्या,
सुबेर जब ह्वे,
मन मा आस जगि,
बुरु बग्त बितिगी,
अग्नै क्या होलु?
सब्बि बेखबर होयां था....

सत्रा जून कू सुबेर,
सात बजि भंयकर आवाज ह्वै,
केदार मा पाणी भरेण लगि,
पाणी मा बग्दा मनखि,
बचण कू प्रयास कन्ना था,
बजार की तरफ लाश ही लाश,
नजर औणि लगिं थै,
कुछ यात्री अपणा लंगि संग्यौं,
बचौण का जतन मा,
पाणी मा बगिगे था,
जब सैलाब रुकि,
लोग चिल्लाण लग्यां था,
क्वी अपणौं तैं ढू़ढणा था,
हृदय विदारक दृष्य थौ,
केदार जी मा मलवा,
बड़ा बड़ा ढुंगा,
चौतरफ नजर औणा था,
कुदरत की भयंकर मार,
केदार जी मा दिखेणि थै......
 दिनांक 15.6.2016

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