Friday, October 28, 2016

पतरोळ की पाती.....



पतरोळ भौत ऊदास छ,
बोन्नु थौ, किलै छन भभसेणा,
दिल्ली, मुंबई, देरादूण मा,
पचास सौ गज का मकान फर,
ऊब अवा, अपणि कूड़्यौं का,
द्वार ताळा खोला,
मैंन बणु की पतरोळगिरी कन्न,
या तुमारा कूड़ा पुंगड़ौं की,
मेरु बोल्युं माणा बग्त फर,
नितर भौत पछतैल्या,
अपणि बोलि भाषा भी,
तुम त्यागणा छन,
देवी देव्तौं कू मुल्क छ हमारु,
मैं नई टिरी मा छौं,
उड़्यार पेट रंदु सेयुं फंसोरिक,
तुमारी तरौं निछौं बोळ्या बण्युं,
टीरी डैम की झील देख्दु,
अपणा उड्यार बिटि,
प्यारु खैट पर्वत,
खूब नजर औन्दु,
मेरा उड्यार बिटि,
मैं आपतैं बोलि हि सक्दु,
बाकी तुमारी मर्जी,
मैं त यख तिलु की चटणि,
मूळा कू थिंच्वाणि,
कोदा की रोठठी,
घर्या घ्यू की माणी,
सिलोटा की धुर्चिं दाळ,
माळु का पात मा,
ज्यु भरिक खाणु छौं......

5.7.2016

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