Friday, October 28, 2016

फुर्रच्याटेंट.....



बण्युं छ अर सतौणु पिथौणु छ,
कै बर्सु बिटि हमारा देश तैं,
आतंक रुपी अजगर पाळ्यां छन,
तैका सतौण पिथौण का खातिर,
अपणि सीमा का भीतर,
सौण की भी एक सीमा होन्दि,
भौत समझाई बिल्कुल नि माणी,
दुन्यां मा भी बदनाम ह्वैगि,
अजगर जना आतंकवादी,
अपणा देश मा पाळ्दु,
भारत का बेकसूर मनख्यौं,
बीर सैनिकौं तैं मरौन्दु,
सीमावर्ती लोगु तैं,
नशाखोर भी बणौन्दु,
मेरु हात कतै निछ,
अफु बेकसूर बतौन्दु,
सबूत मांग्दु स्वीकार नि करदु,
हमारा बीर सैनिकुन,
करयालि तैकी सीमा मा घुसिक,
अब आतंक्यौं कू अंत,
सेळि सी पड़िगी अब,
सब्बि हिन्दुस्तान्यौं का मन मा,
भारी 'फुर्रच्याटेंट' थौ बण्युं,
स्यू नापाक पाकिस्तान........
जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू’,
दिनांक 21.9.2016
(रचना संख्या-1023)

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